FAQ’s
मस्तिष्क रोगों के कारण
- मस्तिष्क रसायनो (Neurotransmitter’s ) की मात्रा में बदलाव आ जाना, इनमे मुख्यतः सिरोटोनिन (Serotonin), नॉरअड्रेनालिन और डोपामिन कार्नीभूत होते हैं।
- कुछ रोगीयों में मस्तिष्क रचना में बदलाव से यह हो सकता है।
- कभी-कभी आनुवांशिक कारण भी होते है।
- मनोवैज्ञानिक तनाव का भी मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ता है।
- अत्याधिक विचारो से ब्रेन वेव्ह में परिवर्तन ।
- मस्तिष्क रोगों का ईलाज धार्मिक कर्मकाण्डों, आध्यात्मिक या तांत्रिक बाबाओं, फकीरों अथवा डोरा, धागा, शराब एवं नशीली दवाएँ नहीं है।
हमारी विशेषताएँ :
हमारे यहाँ ईलाज समर्पित एवं अनुभवी डॉक्टरों द्वारा बिमारी के कारणों का पता लगाने के बाद ही किया जाता है। इसके लिए जरूरी अत्याधुनिक सुविधाये हमारे यहाँ उपलब्ध है।
मस्तिष्क रोगों का निदान (Diagnosis) कैसे होता है ?
हमारे मस्तिष्क रोग निदान उपचार एवं अनुसंधान केन्द्र में सबसे पहले पेशंट्स से बिमारी सम्बंधीत सम्पूर्ण जानकारी जुटाई जाती है। जरूरत पड़ने पर E.E.G., (ब्रेनमॅपिंग), M.R.I., C.T. Scan आदि जाँचे कराने की सलाह दी जाती है, जिससे रोगो के कारणों को समझने में मदद मिलती है।
उपचार कैसे होता है ?
निदान के बाद मरीजों को उसके रोगों सम्बन्धित सारी जानकारी दी जाती है। रोग के प्रकार अनूसार दवाईयों का प्रकार, मात्रा, समय सीमा निर्धारित की जाती है। दवाई के साथ-साथ कुछ आधुनिक चिकित्साए जैसे की बॉयोफिडबैंक, इलेक्टोस्लिप, ब्रेनपोलालाईजर, रिलेक्जेशन थेरेपी आदि कराई जाती है जिससे बीमारी को ठीक करने मैं मदद मिलती है। यह सारी सुविधा हमारे सेन्टर पर उपलब्ध है।
सिरदर्द के मुख्य प्रकार इस तरह से है:
क्या आप जानते है इंसान को 200 अलग अलग तरह के सिर दर्द हो सकते है और प्रत्येक निदान के उपचार भी भिन्न भिन्न होते है ?
- माईग्रेन संभवतः सबसे ज्यादा मात्रा में पाये जाने वाला सिर दर्द का प्रकार है। ज्यादातर पेशंट मे दर्द सिर के आधे भाग में शुरू होता है साथ में AURA याने ज्यादा रोशनी या आवाज मे सिर दर्द बड़ जाना, उलटी जैसा महसूस होना, सिर सुन्न होना आदि परेशानिया हो सकती है।
- तनाव वाला सिर दर्द (T.H.) : इसमे सिर में जोर से पट्टा बाँध दिया हो इस तरह का सिर दर्द या भारीपन महसूस होता है साथ ही चिड़चिड़ापन, काम मे मन ना लगना, दिमाग काम न करना आदि परेशानिया हो सकती है।
- क्लस्टर सिर दर्द दौरो के रूप में आने वाले इस सिर दर्द में व्यक्ति को असहनिय पीड़ा होती है साथमें आँख छोटी या लाल हो जाना, आँख और नाक में से पानी बहना, सिर की नसों में खिचाव महसूस होना आदि परेशानिया महसूस हो सकती है।
- हेमिक्रेनिया कन्टीनूआ दिन में अधिकतर समय पेशन्ट के केवल सिर के आधे भाग मे दर्द बना रहता है।
- टाईजेमायनल न्युरालजीया: सिर या मुह के आधे हिस्से में करंट जैसे संवेदनाएँ महसूस होती है।
मिर्गी (Epilepsy) / हीस्टेरिया (Conversion Disorder)
यदि किसी मरीज को एक से अधिक दौरा आता है तो उसे मिर्गी कहते है। यह मस्तिष्क न्युरॉन्स (कोशिकाओं) के एक समूह में असामान्य विद्युत प्रवाह से होता है। मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में होने वाले बदलाव पर मिर्गी के लक्षण निर्भर करते है।
इसके मुख्य दो प्रकार
- फोकल (Focal) – यह शरीर के एक हिस्से को प्रभावित करता है, जिससे या तो मरीज पूरी तरह होश में हो सकता है या कुछ समय के लिए बेहोश हो सकता है।
- Generalised : आमतौर पर ३० सेकण्ड से ५ मिनिट तक के लिए बेहोशी के साथ-साथ संपूर्ण शरीर में कंपन होना, जीभ कट जाना, पेशाब छुट जाना, साँस लेने में परेशानी होना आदि समस्याये हो सकती है।
स्किझोफ्रेनिआ (Schizophrenia)
ऐसी आवाजे सुनने का अनुभव होना जिन्हे सामान्य लोग नही सुनते है। वस्तु या चेहरे दिखाई देने का आभास होना जिन्हे सामान्य लोग नही देख पाते। बिना कारण झूठा वहम या शक कि उनके विचार कोई पढ़ रहे है या जान रहे है या उन पर निगरानी रख रहे है। बिना वजह शंका करना की लोग उनके बारे में बुरी बाते करते है या उनको मारने की कोशिश करते है। स्किझोफ्रेनिआ विभिन्न प्रकार के होते है और प्रकार के अनुसार रोगो के लक्षण बदलते रहते है।
मनोकायिक रोग (Somatoform illness) :
मस्तिष्क शरीर को एवं शरीर मस्तिष्क को प्रभावित करता है, अतः मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले रोग शरीर पर भी असर डालते है। इस बिमारी में रोगी को शारीरिक लक्षण तो होते है मगर विस्तृत शारीरिक जाँच एवं परीक्षण सामान्य पाये जाते है। उदाहरण : सिरदर्द, माइग्रेन, शारीरिक दर्द एवं भारीपन, बारबार डकार आना, गैस्ट्रिक ट्रबल, अचानक घबराहट, बेचैनी, छाती में भारीपन, शरीर में जलन या खुजली होना ।
व्यवहार मे बदलाव :
दिमागी बुखार, मस्तिष्क में चोट, कमजोरी, लखवा आदि के बीमारी पश्चात व्यवहार में होने वाले बदलाव
मन की उदासी, अवसाद या डिप्रेशन (Depression) :
यह एक बहुत सामान्यतः पाये जाने वाली समस्या है पर अज्ञान वश हम इसे पहचान नही पाते है। डिप्रेशन केवल तनाव से होता है ऐसा नहीं है। यह मस्तिष्क रसायनों के बदलाव, शारीरिक कमजोरी आदि से भी हो सकता है। अवसाद के सामान्य लक्षण इस प्रकार है।
- उत्साह, उमंग व कार्य क्षमता में कमी, अत्यधिक आलस्य दैनिक कार्यो में दिलचस्पी न रहना। • विचारों और याददाश्त में कमी, एकाग्रता में या निर्णय लेने में काफी कठिनाई महसूस करना।
- अत्यधिक निराशा, असहायता, आत्मग्लानी का अहसास होना। निंद, वजन कम होना।
सोमॅटिक (शारीरिक) एवं दर्द रोग निवारण आदि ।
समस्त शारीरिक नसों संबंधित समस्यायें :
गैस्ट्रिक ट्रबल :
पेट में बैचेनी, भारीपन महसूस होना, खाना पचने में कठिनाई होना, बार-बार गैस बनाना, जी मचलाना, घबराहट होना आदि ।
अनिंद्रा रोग (Insomnia) :
नींद आने में कठिनाई, नींद का बार-बार खूल जाना, जरूरत से ज्यादा नींद आना, नींद के लिए दवाईया की जरूरत पड़ना आदि।
मैनिया या उन्माद रोग (Mania) :
यह ऐसा दीर्घकालिन मस्तिष्क रोग है जिसमे व्यक्ति कभी अत्यधिक उदास तो कभी अत्यधिक उत्तेजीत (उन्मादी) हो जाता है। उन्माद में व्यक्ति को अत्यधिक बोलना, चिड़चिड़ापन करना, गुस्से पर काबू न हो पाना, अति उत्साहित होना आदि समस्याए होती है यदि कोई उन्हे समझाने का प्रयास करे तो वे अत्यधिक क्रोधित हो जाते है।
चिन्ता रोग (Anxiety Disorder) :
जब बिना किसी विशेष कारण के अनुपात से अधिक चिंता एवं तनाव होता है तो यह एक मस्तिष्क सम्बंधित रोग होता है। कोई भी कार्य करने से पहले घबराहट, बेचेनी, कंपन आदि शारीरिक लक्षण होते है। कार्य सम्बंधित आत्मग्लानी की भावना या अत्यधिक चिंता होती है।
पैनीक अटैक (Panic) :
दिल की गती का अचानक बढ़ जाना, बार-बार अधिक पसीना आना, श्वास का तेज होना, गले में अवरोध या दम घुटने या श्वास रूकने का अनुभव होना, मूँह का सूकना, उल्टी जैसा होना, पेट का फूल जाना, शरीर के किसी भी भाग में कम्पन या थरथराहट का अनुभव होना या झुनझुनी और सुनपन आ जाना, सूस्ती, अस्थिरता, चक्कर का अहसास होना।
फोबिया या डर (Phobia) :
इस मस्तिष्क रोग में व्यक्तिव एसी विशिष्ट परिस्थिति या वस्तु से डरता है जिससे वास्तव में खतरा नही के • बराबर हो जैसे ऊँचाई का डर, लोगों के आगे बोलने का डर, पानी, भीड का डर, बंद जगह का डर ।
ग्रस्तता बाध्यता रोग (O.C.D.) :
किसी व्यवहार को बार-बार दोहराना जैसे हाथ धोना, सफाई करना, किसी वस्तु या व्यक्ति को बार-बार स्पर्श करना, कोई एक ही बात को बार-बार जाँचना जैसे की ताला, दरवाजा, बिजली के स्विच, पानी की टोटी, स्टोव, गैस आदि।
वृद्धावस्था मैं पाये जाने वाले मस्तिष्क रोग:
याददाश्त कमजोर होना, भूल जाना, जगह- मनुष्य को नहीं पहचानना, व्यक्तित्व परिवर्तन होना जैसे शंका करना, एक ही क्रिया को बार-बार करना, चिडचिडापन आदि।
बालमस्तिष्क रोग:
बिस्तर गीला करना, पढाई में पिछडापन, मंदबुद्धिपन, मनमर्जी करना, बात न सुनना, चोरी करना, आदर न करना, झगड़ालू प्रवृत्ति, स्कूल सम्बंधित समस्याएँ, अतिचंचलता।
नशीले पदार्थों की गलत निर्भरता (नशामुक्ति):
नशीले पदार्थो (शराब, तम्बाकू, जर्दा पाउच, धुम्रपान, बिडी-सिगरेट, अफीम, भांग, गांजा, ब्राउन शुगर, स्मैक, नींद की गोलीया, फोर्टविन इंजेक्शन) आदि के सेवन से होने वाले शारीरिक एवं मस्तिषक रोग, यह रोगी नशे का इतना आदी हो जाते है की नशे का समान नही मीलने पर बेचैनी, अनिद्रा, हाँथ – पॉव में कंपन, बदन व पेट दर्द, चिडचिड़ापन, व्यवहार में बदलाव, आँखों का लाल होना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ता है । हमारे यहाँ रोगी को उचित ईलाज देकर इन सभी परेशानियों से लाभ दीया जाता है और भविष्य में कभी नशा नही करने सम्बंधित ईलाज भी दिया जाता है।
पुरुषों में यौन या सेक्स सम्बंध समस्याऐ (Male Sex Problems):
सम्बंध बनाने की इच्छा नहीं होना, लिंग में कमजोरी या लिंग में तनाव नही आना, शीघ्र पतन, लिंग में तेड़ापन, पेशाब में विर्य या धातु जाना, वीर्य पतला या पीला हो जाना, स्वप्न दोष, हस्त मैथुन से सम्बंधीत नपुंसकता।
उपलब्ध आधुनिक सुविधाएँ
बायोफीडबैक (Biofeedback) :
बायोफीडबैक मस्तिष्क रोगो के उपचार में उपयोग होने वाली एक तकनीक है। बायोफीडबैक मे पेशंट के शारीरिक संकेतो को पहचाना जाता है। यह तकनीक सिर दर्द, तनाव, मिर्गी, चिन्ता, अनिंद्रा, नसों की जलन, दर्द आदि बिमारियों मे उपयोगी है।
ई. ई.जी. :
मस्तिष्क सामान्य रूप से एक दूसरे को संदेश भेजते हैं, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं और तंत्रीकाओं में छोटे तिव्रता का संकेत पैदा करता है। इन संकेतो को ई. ई. जी मशीन से पता लगाया और दर्ज किया जाता है।
ई. ई.जी. परीक्षण पीड़ारहित और हानिरहित है। ई. ई.जी. में मशीन आपके मस्तिष्क से आ रहे संकेतो को रिकॉर्ड करता है, यह आपके मस्तिष्क या शरीर में किसी भी संकेतो को नही छोड़ता। यह तकनीक रोगों के निदान मे उपयोगी है।
Corticosleep:
यह उपचार की तकनीक मस्तिष्क की फिजियोथैरेपी की तरह है। इस चिकित्सा तकनीक को चिंता, अवसाद, (डिप्रेशन), गेस्ट्रीक ट्रबल, अनिंद्रा, व्यक्तित्व विकार, सिर दर्द आदि बिमारियों में इस्तेमाल किया जाता है।
बुद्धि परीक्षण (IQ Test) :
बुद्धि परीक्षण में चिकित्सक पेशेंट के कुछ परीक्षण कर व्यक्ति की औसत बुद्धि की गणना करते हैं यह परिक्षण मरीजों मे कमजोर याद्दाश्त, एकाग्रता की कमी, पढ़ाई में पीछड़ापन आदि समस्याओं को समझने में मदद करते हैं।
मनोवैज्ञानिक जाँचे (Neuropsychiatric Testing) :
यह परीक्षण व्यक्तिव विकार, अवसाद, उन्माद, घबराहट, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन, वह्म रोग जैसी समस्याओं का निदान करने के लिए किया जाता है। यह औषधि एवं ईलाज की योजना बनाने में बहुत मददगार साबित होता है।
मेल सेक्स थैरेपी एवं एज्यूकेशन:
यौन समस्याओं के उपचार में इस्तेमाल होती है।